
रास्ते बहुत बदले
मगर मेरे कुछ ही हमसफर रहे
मंजिलें बहुत पायी
मगर दिल का सुकून हर मोड़ पे नही मिला
साथी भी बहुत मिले
मगर हम साथी हर कोई नही बन पाया
हर किसी को उस सख्स से रुबरु करवाया जो मेने चुना
मगर जो में हु वो तुम ही जान पाए
दूरी भी बना ली राहे भी बदल ली
मगर एक डोर अभी भी रखी हैं
जो तुझे मुझसे ओर मुझे तुझसे कही दुनिया के किसी अनजान से कोने में मिलने की आशा दे
क्या पता कभी वक़्त अपना भी आ जाये
ओर नही भी आया तो भी क्या गम है
बिता हुआ वक़्त कम नही था