
काश मैं दुनिया में आती
काश मैं माँ को छूकर प्यार का एहसास पाती
अपने नन्हे क़दमों से पापा को पीछे भगाती
तुम्हारी गौद में बड़ी होती मैं रिश्तो को समझती
सबको इतना प्यार देती, सम्मान देती
के फिर कभी कोई बेटी किसी की आँखों में न खटकती
हर रोज सुबह उठकर मैं तुम्हारा हाथ बंटाती
चुपके से जाकर भाई को मैं पापा से पहले उठाती
सारे काम निपटा कर मैं ख़ुशी से स्कूल जाती
हर साल मैं अपनी कक्षा मैं पहले नंबर पे आती
तुम्हारी ख़ुशी को मैं अपनी ख़ुशी बनाती
आता कभी कोई दुख करीब तो मैं चुपके से सह जाती
पराये घर जाकर भी मैं तुम्हारे संस्कार न भुलाती
बेटा साथ छोड़ जाता तो मैं बेटे का फ़र्ज़ निभाती
तुम्हारी इज़्ज़त की खातिर मैं किसी भी राह पर चलती कोई भी दुख सह जाती
तुम्हारी आँखों में गर्व देख कर मैं परम सुख को पाती
तुम्हे आदर्श मान कर तुम्हारा अनुसरण करती
परंतु माँ हो सके तो मुझे क्षमा करना
शायद एक घडी मैं सबको निराश कर जाती
शायद मैं अपनी बेटी को कोख में ही न मार पाती
काश मैं दुनिया में आती
अगर मैं दुनिया में आती